Success Story:-मेहनत करके बनाई करोडो की कंपनी । कभी मजबूर थे भीख मांगने के लिए

मेहनत से कुछ भी काम मुश्किल नहीं होता

आपने मेहनत करने वालो के बारे मई काफी सुना होगा।लेकिन कभी किसी ऐसे इंसान के बारे मई सुना है। जिसके खाने के भी लाले पड़ गए हो और वो अपनी मेहनत के दम पर करोडो का कारोबार बना दे तो आपको सुनने मे कैसा लगेगा ।आप इस पर भरोसा नहीं कर पाएंगे लेकिन ये सब सच किया है रेणुका अराध्या ने जो बंगलुरु के एक छोटे से गांव के रहने वाले आपने मेहनत करने वालो के बारे मई काफी सुना होगा।लेकिन कभी किसी ऐसे इंसान के बारे मई सुना है। जिसके खाने के भी लाले पड़ गए हो और वो अपनी मेहनत के दम पर करोडो का कारोबार बना दे तो आपको सुनने मे कैसा लगेगा ।आप इस पर भरोसा नहीं कर पाएंगे लेकिन ये सब सच किया है रेणुका अराध्या ने जो बंगलुरु के एक आपने मेहनत करने वालो के बारे मई काफी सुना होगा।लेकिन कभी किसी ऐसे इंसान के बारे मई सुना है। जिसके खाने के भी लाले पड़ गए हो और वो अपनी मेहनत के दम पर करोडो का कारोबार बना दे तो आपको सुनने मे कैसा लगेगा ।आप इस पर भरोसा नहीं कर पाएंगे लेकिन ये सब सच किया है रेणुका अराध्या ने जो बंगलुरु के एक छोटे से गांव के रहने वाले है ।से गांव के रहने वाले है ।है ।

Ghaziabad-मेहनत और समझदारी से बड़ी से बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है। अगर मेहनत की जाए तो जिंदगी में ऐसा कुछ नहीं है जिसे हासिल न किया जा सकता हो।दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं, जिन्होंने मेहनत के दम पर अपनी किस्मत बदल के रख दी है। ऐसे लोगों की लिस्ट में शामिल हैं रेणुका आराध्या। एक समय ऐसा भी था जब रेणुका आराध्या (Renuka Aradhya) गलियों में भीख मांगा करते थे। लेकिन आज वह 40 करोड़ रुपये की कंपनी के मालिक हैं। रेणुका की कंपनी में सैकड़ों लोग नौकरी करते हैं। ऐसे लोग जो जिंदगी में नौकरी नहीं मिलने या पैसों को लेकर परेशान हैं रेणुका आराध्या ने उनके लिए एक मिसाल कायम की है। बचपन से कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए रेणुका ने आज इतनी बड़ी सफलता हासिल की है। आइए आपको बताते हैं कैसे एक समय भीख मांगने वाले शख्स ने करोड़ों रुपयों की कंपनी खड़ी कर दी।

कठिनसमय

रेणुका आराध्या बेंगलुरु के पास स्थित एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं। रेणुका का जन्म एक गरीब पुजारी परिवार में हुआ था और बचपन बेहद गरीबी में गुजरा था। घर की आर्थिक हालत इतनी बुरी थी कि रेणुका को पढ़ाई पूरी करने के लिए दूसरों के घरों में नौकर की तरह काम करना पड़ता था। किसी तरह से उन्होंने 10वीं तक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वह पास के मंदिर में पुजारी के रूप में काम किया करते थे। पूजा के बाद रेणुका और पिता घर-घर जाकर लोगों से चावल, आटा और दाल मांगते थे। इसी से उनके घर का गुजारा होता था। रेणुका तब से घरों में जाकर झाड़ू-पोछा और बर्तन धुलने का काम करने लगे।

मजदूरी भी करी

20 साल की उम्र में रेणुका ने शादी कर ली। रेणुका का मानना था कि शादी उन्हें जिम्मेदार बना देगी। इस बीच वे सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी और मजदूरी करते रहे। उनकी पत्नी भी किसी फर्म में हेल्पर का काम करती थीं जो बाद में दर्जी बन गईं। रेणुका पर जिम्मेदारी बढ़ रही थी। इसके चलते उन्होंने लैथ मशीन पर काम शुरू किया। फिर प्लास्टिक फैक्टरी में काम किया। इसके बाद उन्होंने खुद का सूटकेस कवर का धंधा शुरू किया। इस धंधे में उन्हें 30 हज़ार का नुकसान हुआ, ये नुकसान उन्हें फिर से सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी पर ले आया।

सेल्फ स्टार्टअप से कामयाबी तक

रेणुका ने अपनी खुद की सेविंग और बैंक से कुछ मदद लेकर अपनी पहली कार खरीदी और Pravasi Cabs Pvt.Ltd. नाम से एक कंपनी की शुरुआत की। इस कार को एक साल चलाने के बाद उन्होंने एक और कार खरीदी। रेणुका को पता चला कि एक कैब कंपनी की स्थिति खराब चल रही थी वह अपने बिजनेस को बेचना चाहती थी। इस दौरान रेणुका ने करीब 6 लाख रुपये में उस कंपनी को खरीद लिया। कंपनी के पास उस समय करीब 35 कैब थी। यहीं से उनकी सफलता की कहानी शुरू हुई।

रेणुका को असली सफलता तब मिली जब ऐमजॉन इंडिया (Amazon India) ने खुद के प्रमोशन के लिए उन्हें चुना। धीरे-धीरे वॉलमार्ट, जनरल मोटर जैसे बड़ी-बड़ी कंपनियां रेणुका के साथ काम करने लगी। वक्त बीतने के साथ उनकी कंपनी का टर्नओवर 40 करोड़ रुपये के पार हो गया। आज उन्होंने इस कारोबार के जरिए डेढ़ सौ से भी ज्यादा लोगों को रोजगार दिया है।

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